शिरडी के साई एक बार फिर विवादों में हैं। ताजा मामला साई के जन्मस्थान को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा दिया गया बयान है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पाथरी को साई बाबा का जन्म स्थान बताते हुए इस जगह के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि देने की बात कही। जिसके चलते यह विवाद पैदा हुआ। दरअसल साई के कुछ भक्त पाथरी को बाबा का जन्म स्थान मानते हैं वहीं शिरडी के भक्तों और लोगों का मानना है कि उनके जन्मस्थान को लेकर कोई सही जानकारी नहीं है। समय-समय पर शिरडी के साई मंदिर को लेकर कई तरह के विवाद और चमत्कार होते रहे हैं।
संत साई बाबा
संत साई बाबा को एक फकीर माना जाता है। साई बाबा कौन थे और उनका जन्म कहां हुआ था यह प्रश्न ऐसे हैं जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। साई ने कभी इन बातों का जिक्र नहीं किया। इनके माता-पिता कौन थे इसकी भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। बस एक बार अपने एक भक्त के पूछने पर साई ने कहा था कि, उनका जन्म 28 सितंबर 1836 को हुआ था। इसलिए हर साल 28 सितंबर को साई का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
फकीर से संत बनने की कहानी
ऐसा माना जाता है कि सन् 1854 में पहली बार साई बाबा शिरडी में दिखाई दिए। उस समय बाबा की उम्र लगभग 16 साल थी। शिरडी के लोगों ने बाबा को पहली बार एक नीम के वृक्ष के नीचे समाधि में लीन देखा। कम उम्र में सर्दी-गर्मी, भूख-प्यास की जरा भी चिंता किए बगैर बालयोगी को कठिन तपस्या करते देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ।
कैसा पड़ा साई नाम
कुछ दिनों तक शिरडी में रहकर साईं एक दिन किसी से कुछ कहे बिना अचानक वहां से चले गए। कुछ सालों के बाद साई फिर शिरडी में पहुंचे। खंडोबा मंदिर के पुजारी ने साईं को देखते ही कहा ‘आओ साई’ इस स्वागत संबोधन के बाद से ही शिरडी का फकीर ‘साई बाबा’ कहलाने लगा।